मोहनपुर-उर्दू खिजुआ के अल्पसंख्यकों के लिए नहीं है कोई सड़क,नरकीय जीवन जीने को हैं मजबूर,गांव आने के बाद कट जा रहे हैं शादी के रिश्ते,होते रहती है सड़क दुर्घटनाएं,बारिश में बच्चों का पढ़ाई और अन्य सुविधाएं हो जाती है बंद,कब मिलेगा निजात

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संतोष कुमार

रजौली प्रखंड क्षेत्र के बहादुरपुर पंचायत के मोहनपुर-उर्दू खिजुआ एकदम जर्जर स्थिति में है.बारिश के दिनों में उर्दू खिजुआ गांव में बसे लगभग ढ़ाई से तीन हजार लोग नरकीय जीवन व्यतीत करने के मजबूर हैं.बताया जाता है कि बीते 50 वर्षों से भी अधिक समय से इस सड़क का निर्माण या मरम्मती का कार्य कभी नहीं किया गया है.जबकि यह सड़क अल्पसंख्यक समाज के लिए एकमात्र आने-जाने का जरिया है.गर्मी और ठंड तो किसी तरह निकल जाता है,किंतु जैसे ही बारिश आती है,लोगों के रूह कांप जाती है.कीचड़युक्त सड़क रहने के कारण लोग अपने हाथों में जूते और चप्पल लेकर खाली पैर आवागमन करने को मजबूर हो जाते हैं.कीचड़ के कारण कोई ई-रिक्शा तक गांव में नहीं आता है.वहीं दोपहिया वाहन चालक अनेकों बार कीचड़ में गिरकर घायल हो रहे हैं.सड़क की बदत्तर स्थिति को देखकर गांव के कई युवक और युवतियों के शादी के रिश्ते तक टूट गए हैं.गांव में अच्छे मकान,विद्यालय और पढ़े लिखे लोग समेत अन्य सुविधाएं हैं,किंतु एकमात्र दुःख है कि ग्रामीणों को अपने घर आनेजाने के लिए सड़क नहीं है.

सड़कें बदहाल होने से शिक्षकों को भी होती है परेशानी :- 

गांव में एक उर्दू प्राथमिक विद्यालय भी है, जहां प्रधानाध्यापिका के पद पर हुसना प्रवीण हैं.विद्यालय में कुमारी नीलम,मो. मकसूद एवं मंतोष कुमार सहायक शिक्षक के रूप में पदस्थापित हैं.शिक्षकों को एमडीएम संचालन समेत अन्य पठन-पाठन कार्य करने में काफी फजीहत का सामना करना पड़ता है.सड़क नहीं रहने के कारण शिक्षकों और छात्र-छात्राओं काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बच्चों की पढ़ाई हो रही बाधित :- 

ग्रामीण मो. सलाउद्दीन ने बताया कि उनकी उम्र 60 वर्ष होने को आई है,किंतु उन्होंने अपनी याद में एक बार भी सड़क की मरम्मत अथवा निर्माण होते नहीं देखा है.बारिश में बच्चों का निजी और सरकारी विद्यालयों में आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है.बुजुर्गों को मोड़ तक जाना भी संभव नहीं हो पाता है.

बारिश के दिनों में घरेलू कार्यों में होती है परेशानी :- 

ग्रामीण रेहाना खातून कहती हैं कि उनकी शादी के 40 वर्ष हो चुके हैं,जब वे शादी में पहली बार गांव आई थी,तो रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर बिछे हुए थे.शादी के बाद से अबतक एक बार भी सड़क निर्माण नहीं हुआ है.लोग मजबूरी में हाथों में चप्पल-जूते लेकर पैरों में कीचड़ लगाकर आना-जाना करते हैं.घरेलू कार्य जैसे आटा पिसवाने आदि में भी काफी परेशानी होती है.बारिश के दिनों में किसी के बीमार होने पर भी ग्रामीण चिकित्सक हमारे गांव मरीज को देखने तक नहीं आ पाते हैं.कभी-कभी तो स्थिति इतनी भयावह हो जाती है कि मरीज इलाज के बिना मर जा रहे हैं.वहीं शादी के लिए जो अतिथि बाहर से गांव आते हैं,वे अपनी बेटी और बेटे का रिश्ता तक करना पसंद नहीं करते हैं.

मुखिया से लेकर सीएम तक की शिकायत :-

ग्रामीण मो. नईमउद्दीन ने बताया कि सड़क की बदहाली के कारण लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं.उन्होंने बताया कि इसकी शिकायत मुखिया,बीडीओ,एसडीओ,डीएम और बीते फरवरी माह में करीगांव आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की गई थी,किंतु स्थिति यथावत बनी हुई है.उन्होंने बताया कि बारिश के कारण गैस की गाड़ी तक गांव नहीं आ पाती,जिससे लोग लकड़ी आदि से खाना बनाने को मजबूर हैं.एकमात्र सड़क के कारण उर्दू खिजुआ के ग्रामीण समाज से कटकर रह रहे हैं.

ग्रामीण करेंगे वोट का बहिष्कार:- 

ग्रामीण मो. फारूक आजम,मो. शकील अहमद,मो. दिलशाद,मो. मुरतज़ा,मो. जावेद,निकहत प्रवीण,रूही खातून,सोबरा खातून,शहनाज खातून समेत अन्य ने कहा कि विधानसभा,लोकसभा एवं ग्राम पंचायत चुनाव में सिर्फ वे अपना मतदान करते हैं.जबकि जीते हुए प्रतिनिधियों ने कभी उनके गांव की सड़क के बारे नहीं सोचा है.ग्रामीणों ने कहा कि आगामी कुछ महीनों में बिहार विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है.इस दौरान जिस पार्टी अथवा उम्मीदवार ने भी हमारे गांव की सड़क बना दी,हमलोग सभी ग्रामीण उसी को अपना वोट देंगे,चाहे वो पार्टी भाजपा हो,राजद हो अथवा जदयू हो.अन्यथा वे अपने 800 से अधिक मतों का प्रयोग नहीं करके मतदान का बहिष्कार करेंगे.

क्या कहते हैं अनुमंडल पदाधिकारी –

इस बाबत अनुमंडल पदाधिकारी स्वतंत्र कुमार सुमन ने बताया कि मामला हमारे संज्ञान में आया है.संबंधित विभाग के वरीय पदाधिकारी एवं जिलाधिकारी नवादा को ग्रामीणों की समस्या से अवगत कराया जाएगा.साथ ही कहा कि जल्द ही ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाएगा.

Bihar News 27
Author: Bihar News 27

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