संतोष कुमार
रजौली प्रखंड मुख्यालय स्थित बजरंगबली चौक पर श्रम संसाधन विभाग बिहार सरकार के द्वारा संस्कार फाउंडेशन पटना के कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक कर बाल श्रम मुक्ति एवं ई-श्रमिक कार्ड बनावाने को लेकर जागरूक किया गया.इस दौरान संस्कार फाउंडेशन के टीम लीडर हरि प्रसाद के साथ कलाकारों में सुनीता कुमारी,चंदन कुमार,राकेश राय,मुनिलाल चंद्रवंशी,ललन कुमार,रघुवेंद्र कुमार,कोमल कुमारी,सुशील कुमार एवं सोनू कुमार मौजूद रहे.नुक्कड़ नाटक के दौरान बताया गया कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को ई-श्रम कार्ड बनाने से बहुत फायदे मिलते हैं.ई-श्रम कार्ड मजदूरों को विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं के लाभ लेने में सहायक है.अधिकतम मजदूरों को ई-श्रम कार्ड बनवाने की अपील की गई.साथ ही कहा कि यह योजना सरकार की एक पहल है,जिसका उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना है.इस योजना के तहत,श्रमिकों को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूएएन) प्रदान की जाती है,जिससे उन्हें विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिल सकता है.राज्य में असंगठित क्षेत्र के श्रमिक ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से अपना पंजीकरण करवा सकते हैं.यह पोर्टल श्रम संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा संचालित है.पंजीकरण के लिए श्रमिकों को अपने आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण और मोबाइल नंबर की आवश्यकता होती है.ई-श्रम कार्ड धारकों को भविष्य में सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा.योजना के लाभ से संबंधित विशेष जानकारी उक्त योजना के लाभ से संबंधित विशेष जानकारी और पंजीकरण के लिए,संबंधित मजदूर श्रम संसाधन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं.इस कार्ड के जरिये श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलने में मदद मिलती है.इस कार्ड के लिए असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले सभी लोग पात्र हैं,जैसे निर्माण कार्य करने वाले श्रमिक (राजमिस्त्री, मज़दूर),घरेलू कामगार (घर में काम करने वाले) रेहड़ी-पटरी वाले,रिक्शा-ठेला चालक, खेतिहर मज़दूर,प्रवासी श्रमिक,आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,मनरेगा मज़दूर, मछुआरे,बीड़ी मजदूर,चमड़ा उद्योग मजदूर आदि कार्ड बनवाने के लिए पात्र हैं.आधार कार्ड और बैंक खाता भी अनिवार्य है.ई-श्रम कार्ड के कई प्रकार के लाभ हैं.ई-श्रम कार्ड होल्डरों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दो लाख रुपये तक का बीमा होता है.वहीं दूसरी ओर कलाकारों ने हंसते-हंसाते नाटक के जरिए समझाया कि पढ़ने-लिखने की उम्र में बच्चों से मजदूरी करवाना कानूनन अपराध है.14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी सहित होटल-रेस्टॉरेंट में काम करवाने पर एक महीने से 6 महीने तक की सजा का प्रावधान भी है.इसके अलावा 20 हजार से 50 हजार रुपए का जुर्माना भी देना होगा.बच्चों से बाल श्रम करवाने वाले लोगों सहित उनके माता-पिता को भी सजा हो सकती है.
