संतोष कुमार
रजौली प्रखंड के लोमस ऋषि पहाड़ी और याज्ञवल्क्य ऋषि की तपोस्थली पर खनन कंपनियों को फिर से सक्रिय करने के सरकारी प्रयास के खिलाफ स्थानीय लोगों में भारी गुस्सा है.लोगों का कहना है कि यह कदम पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश का सीधा उल्लंघन है,जिसमें इन पहाड़ियों पर खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था.यह पहाड़ी रामायण सर्किट से जुड़ी हुई है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है.प्रत्येक श्रावण मास की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु जुटते हैं और सैकड़ों वर्षों से इन पहाड़ियों पर स्थित मंदिरों में पूजा-पाठ किया जाता रहा है.
कुछ साल पहले, माधुकोन, कात्यायनी और महादेवा नामक तीन कंपनियों को इस पहाड़ी पर खनन के लिए सौंपा गया था. हालांकि, छपरा निवासी समाजसेवी विनय कुमार सिंह ने पटना उच्च न्यायालय में एक याचिका (सीडब्ल्यूजेसी 959/2021) दायर की थी.इस मामले में, मुख्य न्यायाधीश सहित दो सदस्यीय खंडपीठ ने गंभीरता दिखाते हुए तीनों कंपनियों द्वारा खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. न्यायालय ने दोनों पहाड़ियों के पर्यटन विकास और सौंदर्यीकरण का भी आदेश दिया था.
लेकिन, हाल ही में बिहार सरकार के खनन एवं भूतत्व विभाग ने पत्रांक संख्या 2776/एम पटना दिनांक 20 मई 2025 के जरिए कला संस्कृति एवं युवा विभाग से पुरातात्विक महत्व के संबंध में अनापत्ति प्राप्त करने की बात कही है.यह कदम उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता हुआ प्रतीत हो रहा है.
समाजसेवी विनय कुमार सिंह का तर्क है कि एक तरफ उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में दोनों ऋषियों के तपोस्थली पहाड़ियों के पर्यटन विकास की प्रक्रिया चल रही है, वहीं दूसरी तरफ पत्थर खनन के लिए अनापत्ति दिया जाना अपने आप में विरोधाभासी है.
विनय कुमार सिंह ने इस संबंध में नवादा जिलाधिकारी को पत्राचार किया है.उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि जिला प्रशासन खनन कंपनियों को इन पहाड़ियों को नहीं सौंपेगा, बल्कि दोनों पहाड़ियों पर पर्यटन स्थल बनाने की प्रक्रिया को तेज करेगा.
