संतोष कुमार
रजौली प्रखंड क्षेत्र के महसई स्थित मोमिनपुर मोहल्ला के एक युवक ने मुंबई में जाकर 10 वर्षों तक रहकर कारीगरी सीखी और वापस गांव आकर बांके मोड़ में ग्रिल बेल्डिंग की दुकान खोलकर आत्मनिर्भर बन गए.साथ ही अपने दुकान में आसपास के लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
आत्मनिर्भर बने युवक मोमिनपुर निवासी मो. आजाद मियां के पुत्र मो. शाहनवाज आलम ने बताया कि जबसे वे होश संभाले थे,तबसे उनका परिवार आर्थिक तंगियों से गुजर रहा था.घर का बेटा होने के कारण घर की जिम्मेदारी भी आ गई थी.इसलिए बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2014 में मुंबई जाकर काम करने लगे.मुंबई में ग्रिल एवं गेट बनाने की कला को बारीकी से सीखकर वर्ष 2024 में वापस गांव आ गए.साथ ही गांव में ही ग्रिल एवं गेट बेल्डिंग की दुकान खोलकर कमाने लगे.दुकान खुलने के बाद बहुत कम समय में ही दुकान जम गया और पहले के अपेक्षाकृत ज्यादा काम मिलने लगा.दुकान में बढ़ते कामों को देखकर सहयोगी के रूप में एक-दो लोगों को रखना पड़ा.वर्तमान समय में दुकान में पांच लड़के काम कर रहे हैं,जिन्हें महीने के 10000 से 15000 रुपए प्रति माह दिया जा रहा है.वहीं खुद का मासिक आय एक लाख रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए है.शाहनवाज आलम ने बताया कि अब उनके घर की आर्थिक तंगी खत्म हो चुकी है और वे अपने परिवार के साथ खुशहाल अपना जीवन बसर कर रहे हैं.साथ ही वे क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं से अपील किया कि बाहर जाकर नौकरी करने ज्यादा अच्छा है,अपने हुनर का इस्तेमाल कर अपना व्यवसाय शुरू किया जाए.
