संतोष कुमार
शोषित समाज दल और अर्जक संघ के वरिष्ठ नेता प्रो उमाकांत राही नहीं रहे.विगत रात्रि रजौली के हनुमानगढ़ स्थित उनके निवास स्थान पर हृदय गति रुकने के कारण उनका निधन हो गया.उक्त जानकारी देते हुए अर्जक संघ के वरिष्ठ नेता उपेंद्र पथिक ने बताया कि उनके निधनोपरांत घर की महिलाओं ने अरथी को कंधा दिया.कल देर शाम उनके घर के निकट श्मशान घाट में उनकी अंत्येष्टि की गई.वहीं एक मिनट का मौन भी रखा गया.शव यात्रा में अर्जक संघ और शोषित समाज दल के दर्जनों नेता समेत सैकड़ों ग्रामीण और सगे संबंधी शामिल हुए.वे पत्नी समेत दो पुत्र और एक पुत्री अपने पीछे छोड़ गए हैं.स्मरणीय है कि राही जी गिरिडीह के भंडारों स्थित एक प्राइवेट कॉलेज से संस्कृत के विभागाध्यक्ष से चार साल पूर्व सेवानिवृत हुए थे.उनकी पत्नी सरिता कुमारी भी तीन साल पूर्व नवादा स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत हुई थी।वे दोनों अपने निवास स्थान हनुमानगढ़ में रह रहे थे.मधुमेह के कारण हाल ही में उनका एक पैर का निचले का हिस्सा काटना पड़ गया था.इसके पूर्व वे अर्जक संघ सांस्कृतिक समिति बिहार के महामंत्री,शोषित समाज दल के जिलाध्यक्ष और बाद में महामंत्री भी चुने गए.पटना से प्रकाशित शोषित साप्ताहिक का प्रधान संपादक भी रहे.इसके पूर्व वे प्रगतिशील लेखक संघ के भी लंबे समय तक नवादा के जिलाध्यक्ष रहे.श्री पथिक ने बताया कि उनकी शव यात्रा में उनके पुत्र पवन, पीयूष, अनिल प्रसाद, अनिरुद्ध प्रसाद के अलावा शोषित समाज दल के राजबल्लभ सिंह, रामबिलास प्रसाद,चंदन कपूर, रामप्रवेश यादव पूर्व मुखिया, सुभाष कुमार, भास्कर, जगदीश प्रसाद, उमेश कुमार, मुकेश अर्जक, आदि शामिल होकर प्रो उमाकांत राही अमर रहे,जन्मना मरना सत्य है,शोषित समाज दल जिंदाबाद,अर्जक संघ जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे.शव को शोषित समाज दल के काले झंडे में लपेटकर श्मशान घाट ले जाया गया.उनके पुत्रों ने न तो उतरी ली और न ही सर मुड़वाया.पुत्रों ने बताया कि उनके सिद्धांत के अनुसार अर्जक संघ की पद्धति से ही उनका शोकसभा की जाएगी.
