संतोष कुमार
रजौली प्रखंड मुख्यालय समेत आसपास के कई गांवों में मंगलवार से लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व विधि-विधान और पवित्रता के साथ नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया है.चैती छठ मान्यता और मनोकामना का पर्व माना जाता है.मनोकामना पूरी होने तक चैती छठ का अनुष्ठान करते हैं.चैती छठ को लेकर बाजारों में उपलब्ध होने वाले फलों,ठेकुआ,बतासा,ईख,केला जैसे पकवानों से छठी माई की पूजा होती है.चैती छठ 2025 का महापर्व 1 अप्रैल से शुरू होकर 4 अप्रैल तक चलेगा.इस छठ पर्व में सरकार की तरफ से छुट्टी नहीं दी जाती है.
नहाय खाय –
1 अप्रैल 2025 (मंगलवार) को छठ महापर्व के पहले दिन यानी नहाय-खाय से शुरुआत होगी.इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं और शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं.विशेष रूप से कद्दू की सब्जी,चने की दाल और चावल बनाया जाता है.
खरना –
2 अप्रैल 2025 (बुधवार) को व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखेंगी.शाम को सूर्य देव की पूजा के बाद गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं.इसके बाद व्रतियों का 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होगा.
संध्या अर्घ्य –
3 अप्रैल 2025 (गुरुवार) को व्रती शाम के समय किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करेंगे.
उषा अर्घ्य –
4 अप्रैल 2025 (शुक्रवार)को व्रती उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देंगी.इसके बाद वे अपने व्रत का पारण करेंगी और प्रसाद का वितरण करेंगी.
इस प्रकार,चैती छठ पूजा चार दिनों तक चलती है,जिसमें विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं जो सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना के लिए समर्पित होते हैं.बहरहाल कार्तिक छठ की तुलना में चैती छठ को कम लोग करते हैं,लेकिन इसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है.इसमें व्रती 36 घंटे का कठिन उपवास रखते हैं और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मईया की पूजा करते हैं.
