संतोष कुमार
रजौली मुख्यालय समेत प्रखंड क्षेत्र के सभी गांवों में वट सावित्री पूजा सोमवार को बड़े ही धूमधाम से मनाई गई.ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए करती हैं.सुहागिन स्त्रियों ने सोलह श्रृंगार कर पति की लंबी आयु की कामना के साथ वट वृक्ष की पूजा की.मान्यता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.वट सावित्री व्रत में कुछ स्थानों पर वट पूजा के बाद सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को पूजन में प्रयोग होने वाले पंखे से खोइछा भी दी व सिंदूर का दान की.इसके बाद महिलाएं अपने बड़ों का आशीर्वाद ली.हिन्दू धर्म में प्रेम,श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक वट सावित्री व्रत का पर्व बहुत पवित्र माना गया है इस दिन महिलाओं ने पूरी श्रद्धा व सच्ची आस्था के साथ वट सावित्री की पूजा की.वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिला.महिलाओं ने एकत्रित होकर पूरे विधि-विधान से बरगद के पेड़ की पूजा की और सत्यवान और सावित्री की कथा का पाठ भी किया.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्ण व महेश का वास होता है।वट वृक्ष की आयु बहुत लंबी होती है.इसलिए इसे अक्षय वट भी कहा जाता है। मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार,इस दिन देवी सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने पर विवश किया था.इसलिए सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष के नीच व्रत वाले दिन पूजा करती हैं और अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं.
