संतोष कुमार
जल ही जीवन है और चापाकल,नदी,नलकूप आदि जल प्राप्ति के स्त्रोत हैं,किंतु आज के दौर में लोग इनका भी अतिक्रमण कर ले रहे हैं।प्रखंड क्षेत्र में एक तरफ बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा है।वहीं दूसरी तरफ प्यास बुझाने वाले सार्वजनिक चापाकल का भी अतिक्रमण लालची लोगों के द्वारा कर लिया गया है।बताते चलें कि लोगों को पेयजल मिल सके,इसके लिए जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक के पदाधिकारीगण विभिन्न प्रकार की बैठकें कर क्षेत्र का हाल जानने में लगे हुए हैं और खराब पड़े चापाकल को बनाने की कवायद चल रही है।इस दौरान बाईपास में फुटपाथी दुकानदारों द्वारा सरकारी चापाकल के बगल में ईंट और मिट्टी भराई कर दिया गया है।इस कारणवश सैकड़ों लोगों की प्यास बुझाने वाला चापाकल जमींदोज हो गया है।वहीं लोग चौक-चौराहे पर कहते नजर आ रहे हैं कि प्यास बुझाने की सजा बेचारे चापाकल को मिली है।साथ ही लोग सवाल करने लगे हैं कि क्या नदी और चापाकलों के अतिक्रमणकारियों को सजा मिल सकेगी या ऐसे ही अतिक्रमण की छूट मिली रहेगी ?
