संतोष कुमार
रजौली मुख्यालय स्थित अनुमंडलीय अस्पताल शुरुआती दिनों से आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.स्वास्थ्य विभाग से लेकर जिलाधिकारी,सिविल सर्जन,रोगी कल्याण समिति एवं स्थानीय पदाधिकारीगण आमलोगों की सुविधाओं के लिए प्रयासरत हैं,बावजूद अबतक अस्पताल में कई कमियां व्याप्त है.इन कमियों को देखते हुए एमएलसी नवादा अशोक यादव द्वारा विधान परिषद सदन में अस्पताल में सीटी स्कैन एवं अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने को लेकर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से मांग की है.एमएलसी की मांग पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि अनुमंडलीय अस्पताल में जल्द ही अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था शुरू की जाएगी.वहीं सीटी स्कैन की व्यवस्था पूरे बिहार के सभी जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में उपलब्ध है एवं किसी भी अनुमंडलीय अस्पताल में अबतक सीटी स्कैन की व्यवस्था नहीं है.साथ ही कहा कि चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग भर्तियां निकाल रही है,जल्द ही चिकित्सकों एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के रिक्त पद को भरा जाएगा.हालांकि एमएलसी ने सदन में यह भी कहा कि बिहार के कुछ अनुमंडलीय अस्पताल में आउट सोर्सिंग के द्वारा सीटी स्कैन की व्यवस्था की गई है.इसलिए रजौली स्थित अनुमंडलीय अस्पताल में भी सीटी स्कैन की व्यवस्था होनी चाहिए.
रजौली से कोडरमा और नवादा की दूरी 30 किमी है,दुर्घटनाओं में सीटी स्कैन होता है जरूरी
बभनटोली निवासी समाजसेवी रंजीत सिंह ने बताया कि रजौली बिहार-झारखंड के सीमा पर बसा हुआ है.साथ ही बताया कि कोडरमा घाटी एवं फोरलेन में प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाएं घटित होते रहती है.इन दुर्घटनाओं में सिर में गंभीर चोट लगे मरीजों को सीटी स्कैन की सख्त आवश्यकता होती है.रजौली अनुमंडलीय अस्पताल से कोडरमा सदर अस्पताल एवं नवादा सदर अस्पताल की दूरी 30 किलोमीटर पड़ती है.इसलिए अनुमंडलीय अस्पताल जिसे ट्रामा सेंटर के नाम से संचालित किया जा रहा है,इसमें सीटी स्कैन की व्यवस्था होनी चाहिए,ताकि सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों का ससमय बेहतर इलाज मिल सके.
अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था से महिलाओं को मिलेगा लाभ
अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं होने से सामान्य महिला मरीजों के अलावे गर्भवती महिलाओं को अल्ट्रासाउंड के लिए बाजार में 800 से 1000 रुपए खर्च करना पड़ता है.वहीं अनुमंडलीय अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन की व्यवस्था होने से आसपास के गांवों से आनेवाली ग्रामीण महिलाओं के साथ अन्य को लाभ मिल सकेगा.साथ ही प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के दौरान आनेवाली गर्भवती महिलाओं को जांच में काफी सुविधा मिलेगी.
पीकू और एनआरसी को चालू करवाने की है आवश्यकता
अनुमंडलीय अस्पताल में जिले का एकमात्र एनआरसी का संचालन किया जा रहा है,जिसमें काफी अनियमितता बरती जा रही है.एनआरसी में कुपोषित बच्चों एवं उनकी माता को भर्ती कर कुपोषण मुक्त बनाए जाने का प्रावधान है.इसके लिए स्वास्थ्यकर्मी बढ़िया ढंग से क्षेत्र में मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं,जिसका नतीजा है कि एनआरसी बिना मरीजों के खाली रह जाता है.वहीं दूसरी ओर 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए पीकू की भी व्यवस्था की गई थी,किंतु चिकित्सकों की कमी के अलावे अन्य कारणों से पीकू का संचालन भी ठप पड़ा हुआ है.जबकि अस्पताल में कागजों पर जीएनएम की ड्यूटी निरंतर पीकू में तो होती है,किंतु पीकू के बंद होने के कारण नौनिहालों का बेहतर इलाज एक सपना सा बनकर रह गया है.
