बसरौन विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था बदहाल, विभाग के आदेशों की उड़ रही है धज्जियां,विद्यालय से बच्चे गायब,शिक्षिका भी बिना आवेदन के अनुपस्थित

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संतोष कुमार

रजौली प्रखंड मुख्यालय के सुदूरवर्ती पंचायत सवैयाटांड़ में विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति एकदम दयनीय है.मुख्यालय से अधिक दूरी एवं जंगली क्षेत्र होने के कारण वहां पदस्थापित शिक्षकगण हमेशा अपनी गलतियों के कारण समाचार पत्रों के पन्नों को शोभा बढ़ाते नजर आते हैं.

गुरुवार को दोपहर 2 बजे के पूर्व ही बसरौन स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पदस्थापित पांच शिक्षकों में मात्र दो शिक्षकगण ही मौजूद थे.वहीं विद्यालय में नामांकित 265 छात्र-छात्राओं में एक भी बच्चे उपस्थित नहीं थे.

इस दौरान विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक मो. मंसूर आलम एवं शिक्षक मंटू कुमार के अलावे टोला सेवक लक्ष्मण राजवंशी कार्यालय में मौजूद थे.प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सविता कुमारी बीते 3 मार्च से ट्रेनिंग पर गई हुई हैं.वहीं शिक्षिका पूजा कुमारी एवं अंजनी कुमारी स्पेशल लीव पर हैं,जिनमें शिक्षिका पूजा कुमारी का लिखित आवेदन कार्यालय में मौजूद था,जबकि शिक्षिका अंजनी कुमारी का स्पेशल लीव पर होना संदेहास्पद है.वहीं शिक्षिका अंजू कुमारी बिना अवकाश के विद्यालय से गायब थीं.प्रभारी प्रधानाध्यापक मो. मंसूर आलम ने बताया कि विद्यालय में नामांकित 265 बच्चों में 80 से 85 बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आते हैं.गुरुवार को गांव के एक घर में शादी थी,जिसके कारण 48-50 बच्चे ही विद्यालय आए थे और मध्याह्न भोजन करने के बाद सभी विद्यालय से चले गए.वहीं विद्यालय में मौजूद शिक्षकगण भी छुट्टी होने के समय का इंतजार कर रहे हैं.वहीं आसपास के लोगों से पूछे जाने पर बताया गया कि गांव में एक शादी का कार्यक्रम है,लेकिन शादी आज नहीं है.साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि देवी मंदिर में पूजन करने के लिए गांव की महिलाएं एवं युवतियां ही गई हैं,वहां कोई बच्चा नहीं गया है.वहीं बसरौन स्थित देवी मंदिर में पूजन करते ग्राम पंचायत के मुखिया नारायण सिंह एवं ग्रामीण महिलाएं पूजा करते दिखाई दिए.अब सोचने वाली बात है कि जंगली क्षेत्र के विद्यालय में बिहार सरकार एवं शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी जहां शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए लाख प्रयत्न कर रहे हैं.किंतु शिक्षकगण ही बच्चों के उज्ज्वल भविष्य से खेल रहे हैं.बुद्धिजीवियों की मानें तो जंगली क्षेत्र के सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति में सुधार हेतु प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी,प्रखंड विकास पदाधिकारी समेत अन्य पदाधिकारियों का निरंतर भ्रमण होने से ही सुधार संभव है.पदाधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण नहीं किए जाने के कारण इन क्षेत्रों के बच्चों को ना तो गुणवतापूर्ण शिक्षा मिल पाती है और ना ही एमडीएम समेत अन्य सुविधाओं का लाभ मिल पाता है.वहीं शिक्षकगण आपस में मेल-मिलाप कर बच्चों एवं ग्रामीणों को ठगने का काम करते हैं.

क्या कहते हैं पदाधिकारी –

इस बाबत प्रभारी बीडीओ सह सीओ मो. गुफरान मजहरी ने बताया कि मामले की जांच हेतु आदेश दिया गया है.जांच रिपोर्ट आने के बाद अग्रतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

Bihar News 27
Author: Bihar News 27

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