संतोष कुमार
रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में दवाई वितरण कक्ष के बंद रहने से सुबह में आए ओपीडी में दिखाने आए मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.इसके पीछे मरीज एवं स्वास्थ्यकर्मी फार्मासिस्ट की लापरवाही बता रहे हैं.यूं तो अनुमंडलीय अस्पताल अपने कुव्यवस्थाओं के लिए हमेशा सुर्खियों में रहता है.अस्पताल में पीकू की व्यवस्था ठप है,कागजों पर ट्रामा सेंटर संचालित है,डीएस को वित्तीय प्रभार नहीं मिला है,नियमित लाइट नहीं होती है,ओपीडी के समाप्त होते ही एक्सरे रूम का बंद हो जाना,सिजेरियन से प्रसव की व्यवस्था शुरू होकर बंद हो गई है,एनआरसी में अनियमितता आदि प्रमुख समस्या है.इन समस्याओं को स्थानीय स्तर पर सुदृढ़ करने को लेकर प्रभारी डीएस डॉ. दिलीप कुमार से लेकर स्थानीय एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष तक पत्राचार किए जा रहे हैं.किंतु जिला मुख्यालय में आसीन स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारी का ध्यान अबतक अनुमंडलीय अस्पताल पर आकृष्ट नहीं हुआ है.सोमवार को धमनी पंचायत के मोहनरियातरी गांव निवासी स्व. बुधन यादव के पुत्र चमारी यादव अपने नियमित ब्लड शुगर एवं बल्ड प्रेशर की जांच करवाने अस्पताल आए थे.उन्होंने बताया कि अभी क्षेत्र में बहुत अधिक गर्मी पड़ रही है.इसके कारण वे अपनी जांच एवं दवाई लेने सुबह 8 बजे अपने परिजन के साथ बाइक पर 15 किलोमीटर की दूरी तय करके अस्पताल पहुंचे.अस्पताल में डॉक्टर साहब द्वारा दवाई भी लिखा गया.किंतु जब वे दवाई लेने के लिए वितरण कक्ष गए,तो देखा कि उस कमरे में ताला जड़ा हुआ है.स्वास्थ्यकर्मियों से पूछताछ किया,तो बताया गया कि अभी इंतजार कीजिए फार्मासिस्ट 9 से 9:30 बजे तक आते हैं.अस्पताल परिसर में मौजूद निर्माणाधीन तिलैया-कोडरमा रेलखंड में काम करने वाले मजदूर विक्रम मांझी ने बताया कि वे परतौनिया से 15 से 20 किलोमीटर की जंगली रास्तों वाली दूरी तय करके सुबह दवाई लेने पहुंचे हैं,किंतु फार्मासिस्ट के लापरवाही के कारण हमें ड्यूटी पकड़ने में काफी देर हो गई है.वहीं पुरानी बस स्टैंड से आए मरीज नरेश पंडित ने बताया कि वे प्रत्येक दिन सुबह दुकान लगाते हैं और अपना इलाज करवाने सुबह-सुबह अस्पताल पहुंचे हैं,किंतु दवाई वितरण कक्ष बंद रहने से उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है.विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि फार्मासिस्ट अशोक प्रसाद प्रत्येक दिन ओपीडी के निर्धारित समय से एक से डेढ़ घंटे की देरी पर पहुंचते हैं.अब सवाल उठता है कि क्या अस्पताल में सिर्फ चिकित्सक के सही समय से पहुंचने और इलाज करके दवाई लिखने से मरीजों की परेशानियों का निदान हो पाएगा.वहीं फार्मासिस्ट के मनमानी पर अस्पताल प्रबंधन या जिला मुख्यालय में बैठे स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारी अंकुश लगा पाएंगे या नहीं,यह भविष्य के गर्त में है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन नवादा –
इस संबंध में जिला चिकित्सा पदाधिकारी विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि जानकारी मिली है,पिछले दिनों सुधार को लेकर निर्देशित भी किया गया है.बावजूद इस प्रकार कार्य अगर हो रहा है,तो अस्पताल प्रबंधन से जानकारी प्राप्त करते हैं.एक-दो दिनों में वैसे अस्पताल पहुंच कर जायजा लिया जाएगा.जांचोपरांत उचित कार्रवाई की जाएगी.
